हिन्दी भावानुवाद (तीनताल)
भज राधाकृष्ण, गोपाल कृष्ण, कृष्ण कृष्ण बोलो मुख से |
नाम से हिये भर जाये अभाव मिटाये, स्वभाव जगाये महासुख में |
हरि दीनबंधु, चिरदिन बंधू, जीव के चिर सुख दुःख में |
भज रे अन्धो चरणारविंद दुस्तर यह माया का सागर रे |
भज मूढमति तेरा चिरसाथी जिसकी करुणा लोक लोक में |
लीलामय हरि आये हैं चैतन्यपुरी राधाप्रेम लिए हिये में |
(Original Bangla Song, Source - Sangeet Sangraha Sep. 2006 Ed., page no 262)